1 एक समान नागरिक संहिता
2 धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र
3 सप्रंभतुा , एकता और अखडंता
4 सभी के लिए निशल्क शिक्षा तथा चिकित्सा
5 सभी के लिए रोजगार एवं आजीविका
6 लैगिक समानता
7 किसानों के अधिकार
8 पर्यावरण सरंक्षण
9 सार्वजर्वनिक स्वास्थ्य,सेवा एवं सदृढ़ीकरण
10 अधिकारिता
11 सामाजिक न्याय
12 आर्थिक समानता
13 लोकतंत्र
14 महिला सशक्तिकरण
आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूलों और शिक्षक प्रशिक्षण में निवेश के माध्यम से, सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, हर बच्चे के लिए सुलभ, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करें।
कृषि, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लक्षित निवेश के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करें, साथ ही क्षेत्र में उद्यमिता और कौशल विकास का भी समर्थन करें।
ऐसी नीतियां लागू करें जो लोगों के बीच लैंगिक समानता को बढ़ावा दें और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को प्रतिबंधित करें, साथ ही सभी निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करें।
टिकाऊ कृषि पद्धतियों, उचित भूमि वितरण और आधुनिक कृषि तकनीकों तक पहुंच को बढ़ावा देकर किसानों और खेतिहर मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करें।
सख्त पर्यावरणीय नियम बनाएं, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दें, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और भारत की प्राकृतिक सुंदरता को संरक्षित करने के लिए टिकाऊ प्रथाओं को प्रोत्साहित करें।
लोगों को सस्ती और सुलभ चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में निवेश करें और निवारक देखभाल और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करें।
महंत अवैद्यनाथ जी महाराज( जन्म नाम कृपाल सिंह बिष्ट, जन्म: 28 मई 1921; मृत्यु: 12 सितम्बर 2014) भारत के राजनेता तथा गोरखनाथ मन्दिर के भूतपूर्व पीठाधीश्वर थे। वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये हिंदू महासभा से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे। इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए।
सर छोटू राम (जन्म राम रिछपाल ; 24 नवंबर 1881 - 9 जनवरी 1945) ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ , पूर्व-स्वतंत्र भारत के विचारक थे, जो जाट समुदाय से थे और उत्पीड़ित समुदायों के हितों के हिमायती थे। भारतीय उपमहाद्वीप के. इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में नाइट की उपाधि दी गई। राजनीतिक मोर्चे पर, वह नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी के सह-संस्थापक थे , जिसने स्वतंत्रता-पूर्व भारत में संयुक्त पंजाब प्रांत पर शासन किया और कांग्रेस और मुस्लिम लीग को दूर रखा। 1916 में उन्होंने जाट गजट नामक साप्ताहिक समाचार पत्र निकाला, जो आज भी प्रकाशित हो रहा है।
भीमराव रामजी आम्बेडकर[a] (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था।[2] वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे
डॉ. अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम जो मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति नाम से भी जाने जाते हैं, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। उन्होंने सिखाया जीवन में चाहें जैसे भी परिस्थिति क्यों न हो पर जब आप अपने सपने को पूरा करने की ठान लेते हैं तो उन्हें पूरा करके ही रहते हैं। अब्दुल कलाम मसऊदी के विचार आज भी युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865– 17 नवम्बर 1928) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्ततः १७ नवम्बर सन् १९२८ को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी
उधम सिंह (26 दिसम्बर 1899 – 31 जुलाई 1940) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे।उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ' ड्वायर को लन्दन में जाकर गोली मारी थी।कई इतिहासकारों का मानना है कि यह हत्याकाण्ड ओ' ड्वायर व अन्य ब्रिटिश अधिकारियों का एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जो पंजाब प्रांत पर नियन्त्रण बनाने के लिये किया गया था।
चन्द्रशेखर 'आजाद (23 जुलाई 1906 — 27 फ़रवरी 1931) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे शहीद राम प्रसाद बिस्मिल व शहीद भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे।
सुभाष चन्द्र बोस (23 जनवरी 1897 - 18 अगस्त 1945) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी तथा सबसे बड़े नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिए, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था।उनके द्वारा दिया गया "जय हिन्द" का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया।भारतवासी उन्हें नेता जी के नाम से सम्बोधित करते हैं।
महेंद्र सिंह टिकैत (6 अक्टूबर 1935 - 15 मई 2011) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के एक भारतीय किसान नेता थे । उनका जन्म 1935 में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में हुआ था । वह भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष थे । महेंद्र सिंह टिकैत की 15 मई 2011 को 75 वर्ष की आयु में हड्डी के कैंसर से मुजफ्फरनगर में मृत्यु हो गई ।अपने पिता की मृत्यु के बाद आठ वर्ष की आयु में टिकैत बलियान खाप के चौधरी बन गए थे।
अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसम्बर 1924 – 16 अगस्त 2018) भारत के तीन बार के प्रधानमन्त्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 में और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे । वे हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे । वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। वाजपेयी ने सिद्धांत, 'इंसानियत, (मानवता), जम्हूरियत (लोकतंत्र) और कश्मीरियत (कश्मीरी लोगों की पहचान) का आह्वान किया।
सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक गांव में हुआ था। देश की पहली महिला शिक्षक सावित्री को सम्मान देने के लिए प्रतिवर्ष इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। वह पढ़ाने जाती तो लोग उनपर गोबर फेंकते थे। समाज को शिक्षित बनाने के काम में उनके पति ज्योतिबा फुले ने उनका भरपूर सहयोग दिया। उन्होंने महिलाओं के लिए भी लम्बी लड़ाई लड़ी और उनकी स्थिति में सुधार के लिए बहुत योगदान दिया।
रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828– मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की राज्यक्रान्ति की द्वितीय शहीद वीरांगना थीं। उन्होंने सिर्फ 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेज साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं।